नई दिल्लीः भारतीय रेलवे की आर्थिक हालत खस्ता है और इसका पता इस बात से चलता है कि रेलवे जितनी कमाई कर रहा है उससे ज्यादा खर्च कर रहा है. रेलवे की आर्थिक दुर्दशा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसको यात्री किरायों और मालभाड़े से जितनी कमाई होती है उससे ज्यादा रेलवे खर्च कर देता है. रेलवे के फाइनेंस विंग से निकाले आंकड़ों से ये साफ हुआ है कि हर 100 रुपये कमाने के लिए रेलवे को 111.51 रुपये खर्च करने पड़ते हैं.


अप्रैल-जुलाई में रेलवे का रिकॉर्ड ऑपरेटिंग रेश्यो आया है जो कि 111 फीसदी पर है. ये उम्मीद से कम ट्रैफिक ग्रोथ और ऊंचे खर्चों को दिखाता है जिसमें बढ़ती पेंशन की देनदारी और ऑपरेशनल खर्चे शामिल हैं. रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो काफी सालों से ऊपर है और लेकिन पिछले 5-6 सालों से ये 90 फीसदी के दायरे में चल रहा था यानी रेलवे को 100 रुपये कमाने के लिए करीब 90 रुपये खर्च करने पड़ रहे थे. साल 2017-18 में ये 96 फीसदी थी पूरे साल के लिए ऑपरेटिंग रेश्यो का लक्ष्य 92.8 फीसदी पर रखा गया था.


क्या है ऑपरेटिंग रेश्यो
ऑपरेटिंग रेश्यो वो पैमाना है जिसके तहत राजस्व की तुलना में खर्चों की गणना की जाती है. इसके जरिए ऑपरेशनल खर्चों को ऑपरेशनल राजस्व से भाग दिया जाता है जो कि किसी संस्थान के प्रदर्शन को नापने में मदद करता है. ऊंचे ऑपरेटिंग रेश्यो का ये साफ मतलब है कि ये राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर इतना पैसा नहीं पाती है कि नए निवेश कर सके. नई रेलवे लाइनें बिछाने, नए कोच बनाने और रेलवे के आधुनिकीकरण के काम नहीं किए जा सकते हैं.


यात्री किरायों से तय लक्ष्य से कम आई कमाई
रेलवे ने अप्रैल-जुलाई में 17,273.37 करोड़ रुपये की कमाई यात्री किरायों से की जबकि इसका लक्ष्य 17,736.09 करोड़ रुपये रखा गया था. वित्तीय वर्ष 2018-19 के पहले चार महीनों में रेलवे की कमाई इसके तय किए गए लक्ष्य से कम रही है. रेलवे के फाइनेंस विंग से ये आंकड़ा इकट्टा किया गया है.


सामान ढुलाई का लक्ष्य भी नहीं हुआ पूरा
अप्रैल-जुलाई में रेलवे की सामान से होने वाली ढुलाई भी इसके अनुमानित लक्ष्य से कम रही है. ये चार महीनों में 36,480.41 करोड़ रुपये रही जबकि इसके लिए तय लक्ष्य
39,253.41 करोड़ रुपये था.


रेलवे की कुल कमाई
चालू वित्तीय वर्ष में रेलवे की कुल कमाई 56,717.84 करोड़ रुपये रही है जबकि इसका लक्ष्य 61,902.51 करोड़ रुपये रखा गया था.


रेलवे को चलाने का खर्च
रेलवे को चलाने का खर्च देखें तो अप्रैल-जुलाई के दौरान ये 52,517.71 करोड़ रुपये रहा जबकि इसकी तुलना में रेलवे ने 50,487.36 करोड़ रुपये की ही कमाई की थी. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि रेलवे को चलाने के खर्च के अलावा कुछ अन्य खर्चें भी हैं जिसके चलते ऑपरेटिंग रेश्यों इतना ज्यादा हो गया है.


पेंशन आदि खर्चों पर व्यय
रेलवे की पेंशन देयता, रेलवे बोर्ड का खर्च और रेलवे संस्थानों पर होने वाला खर्च भी रेलवे को चलाने वाले खर्च के अलावा वो बड़े खर्चे हैं जिनके चलते रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो 11.51 पर पहुंच गया है. 7वें वेतन आयोग के बाद रेलवे को कुल 47,000 करोड़ रुपये की पेंशन देनी पड़ रही है जिसका मतलब है कि अप्रैल-जुलाई के दौरान रेलवे ने करीब 12,000 करोड़ रुपये पेंशन के रूप में खर्च किए.


हालांकि इसके बाद रेलवे अधिकारी ने ये भी कहा कि ये सीजन रेलवे के ट्रैफिक के लिहाज से ज्यादा बेहतर नहीं रहता है और सामान्य तौर पर वित्त वर्ष के आखिरी तिमाही में जाकर बेहतर होता है.